हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , फ़िलिस्तीनी क़ैदियों के मामलों से जुड़े संस्थान ने इज़राईली जेलों में बंद फ़िलिस्तीनियों की बेहद गंभीर स्थिति का खुलासा किया है। संस्था का कहना है कि 9,300 से अधिक फ़िलिस्तीनी क़ैदी और हिरासत में रखे गए लोग ऐसी अमानवीय परिस्थितियों में रखे गए हैं, जिन्हें “धीरे-धीरे हत्या” के समान बताया जा सकता है।
संस्थान ने अपने बयान में कहा कि विभिन्न जेलों के निरीक्षण के बाद तैयार की गई रिपोर्ट में क़ैदियों पर यातना में असाधारण वृद्धि दर्ज की गई है। बिजली के झटके देना, पुलिस कुत्तों का इस्तेमाल, साउंड ग्रेनेड और बुरी तरह पिटाई जैसे तरीक़े आम हो चुके हैं।
बयान के अनुसार, क़ैदियों को बुनियादी मानवीय ज़रूरतों से भी वंचित रखा जा रहा है, जिनमें उचित कपड़े और खुली हवा में जाने का समय शामिल है। लगभग 350 फ़िलिस्तीनी बच्चे भी क़ैद हैं, जिन्हें परिवार से मिलने और चिकित्सा सुविधाओं से वंचित रखा गया है। कुपोषण और पर्याप्त कपड़ों की कमी के कारण ये बच्चे त्वचा रोगों और संक्रामक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
बयान में यह भी बताया गया है कि ग़ज़्ज़ा से ताल्लुक़ रखने वाले 1,400 से अधिक क़ैदी सियोनी जेलों में बंद हैं, जहाँ उन्हें यातना, इलाज से वंचित किए जाने और मानव गरिमा की लगातार अवहेलना का सामना करना पड़ रहा है।
फ़िलिस्तीनी संस्थाओं के अनुसार, नक़ब जेल में ज़बरन भूखा रखने की नीति सख़्ती से लागू की जा रही है, जहाँ बेहद कम मात्रा में भोजन दिया जा रहा है।
इसके कारण क़ैदियों का वज़न तेज़ी से घट रहा है और गंभीर शारीरिक कमज़ोरी फैल चुकी है। गंदी व्यवस्था के चलते खुजली और अज्ञात वायरस भी फैल रहे हैं, जिनका कोई इलाज उपलब्ध नहीं कराया जा रहा हैं।
बयान में क़ैदी नेताओं की दयनीय हालत का भी ज़िक्र किया गया है, जिनमें फ़िलिस्तीन की पॉपुलर फ्रंट फ़ॉर द लिबरेशन ऑफ़ पैलेस्टाइन (PFLP) के महासचिव अहमद सआदात शामिल हैं। उन्हें जालबूत (जनूत) जेल में एकांत और व्यक्तिगत सेल में रखा गया है, जहाँ वे भीषण शारीरिक यातना का शिकार हैं।
इसके परिणामस्वरूप उनकी पसलियों में फ्रैक्चर और लंबे समय से चले आ रहे गंभीर दर्द जैसी चोटें सामने आई हैं।
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